पटना– भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्री और निर्माता कनक यादव ने हाल ही में एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए इंडस्ट्री की मौजूदा हालत पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा की दिशा और दशा कुछ मुट्ठी भर लोग तय कर रहे हैं, जिससे पूरी इंडस्ट्री प्रभावित हो रही है।
कनक यादव ने स्पष्ट रूप से कहा, “भोजपुरी सिनेमा में हीरो की दादागिरी हावी है। बाकी कलाकारों को न तो सही मेहनताना मिलता है और न ही बराबरी के मौके। सबसे ज्यादा शोषण फिल्म के निर्माता का होता है, जिसकी स्थिति सबसे बेबस हो जाती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इंडस्ट्री में टैलेंट से ज़्यादा पैरवी को अहमियत दी जाती है। “यहाँ काम काबिलियत पर नहीं, बल्कि नायक की सिफारिश पर मिलता है। हीरो को लाखों की फीस मिलती है, लेकिन नायिकाओं को उससे काफी कम।” कनक ने भोजपुरी सिनेमा में पढ़े-लिखे और योग्य लोगों की कमी को भी एक बड़ी समस्या बताया।
विवादों पर बोलते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकांश विवाद स्क्रिप्टेड होते हैं। “ऐसे मुद्दे जानबूझकर खड़े किए जाते हैं ताकि फिल्म या कलाकार की पब्लिसिटी बनी रहे और बाजार गर्म रहे,” उन्होंने कहा।
कनक यादव ने सरकार से भी अपील की कि बिहार में छोटे-छोटे सिनेमाघरों को प्रोत्साहित किया जाए। “बिहार भोजपुरी सिनेमा का सबसे बड़ा बाजार है, लेकिन यहाँ सिनेमाघरों की भारी कमी है। अगर दर्शकों को बाहर निकलकर फिल्में देखने का मौका मिलेगा, तो इंडस्ट्री को भी नई जान मिलेगी,” उन्होंने कहा।
कनक की ये बातें इंडस्ट्री में चल रही आंतरिक खामियों पर एक सशक्त टिप्पणी मानी जा रही हैं।