बिहार की सियासत में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर हलचल मचाने को तैयार हैं। ओवैसी ने सीमांचल से लेकर मिथिलांचल तक विस्तार का प्लान तैयार कर लिया है, जिससे राज्य के महागठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है।
अब तक सीमांचल क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने वाले ओवैसी अब मिथिलांचल की ओर भी सियासी कदम बढ़ा रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, AIMIM ने कई जिलों में संगठनात्मक स्तर पर सक्रियता बढ़ा दी है और संभावित उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी है। पार्टी का फोकस मुस्लिम बहुल इलाकों के साथ-साथ दलित और पिछड़े वर्गों को भी अपने साथ जोड़ने पर है।
पिछले विधानसभा चुनाव में सीमांचल क्षेत्र की कुछ सीटों पर शानदार प्रदर्शन कर ओवैसी ने साबित किया था कि उनकी पार्टी अब सिर्फ हैदराबाद तक सीमित नहीं है। वहीं अब 2025 के चुनाव को देखते हुए वे राज्य में तीसरी ताकत के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश में हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ओवैसी सीमांचल के साथ-साथ मिथिलांचल में भी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करते हैं तो यह महागठबंधन, खासकर राजद और कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन सकता है। मुस्लिम मतों में बिखराव महागठबंधन की रणनीति को कमजोर कर सकता है।
ओवैसी की यह चाल बिहार की चुनावी तस्वीर को पूरी तरह बदल सकती है। अब देखना होगा कि उनकी रणनीति कितना असर दिखा पाती है।